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हिसाब

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …

हर हिसाब लगाकर देखा, कोई ना कोई कम ही निकला,
बात जब उस माँ की आई तो कर्ज ९ माह ज्यादा निकला।

माँ कुन्दन तो मुझे हीरा बनाया, ज्ञान दे जमाने भर क़ा,
सिखाया ये भी कि सच बोलो, डर आखिर किसका।

आने से अंत तक, कुछ भी हो बस प्यार ही प्यार लुटाती है माँ,
देख लो हिसाब लगाकर, दुनिया के हर रिश्ते में भारी है माँ।

रचना ईश्वर की अनमोल, जिसे लाड़ के सिवा कुछ स्वार्थ नहीं,
माँ है धरा पर असली भगवान, इसका दूजा कोई अर्थ नहीं।

त्याग-बलिदान क़ा दूजा नाम है जननी, बेहद भोली होती माँ,
सम्मान करो, प्रेम करो, बस और क्या चाहे हमसे माँ।

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