डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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तुम जबसे आए हो जीवन में,
तन-मन पर छाये रहते हो
दिल खयालों में डूबा रहता है,
तुम हो तो रंगीन जमाना लगता है।
पाया तुमको,तो दूर हुआ गम,
पतझड़ सा लगता था हर मौसम
अब मधुमास महीना लगता है,
तुम हो तो…।
तुमने ही तो प्यार सिखाया है,
एहसास जगाया है, मन-आँगन में
तेरा हर स्पर्श दीवाना करता है,
तुम हो तो…।
तुम बिन, चैन नहीं था जीवन में,
दर्दे दिल उठता रहता था मन में
पा कर स्वप्न सुहाना लगता है,
तुम हो तो…।
दिल को कोई, यूँ ही नहीं भाता,
किसी जनम का होगा कोई नाता
अपना भी नेह पुराना लगता है,
तुम हो तो…।
कसम तुझे, अब रूठ ना जाना,
हो सके तो, अब दूर ना जाना
विरह-दर्द सहा नहीं जाता है,
तुम बिन अब रहा नहीं जाता है।
जीवन का आधार प्रेम है,
हृदय का भी श्रंगार प्रेम है।
बिना प्रेम जीवन सूना लगता है,
तुम हो तो रंगीन जमाना लगता है॥