कुल पृष्ठ दर्शन : 233

You are currently viewing दीया और बाती

दीया और बाती

वंदना जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
************************************

लौ को भर कर अपने आलिंगन में,
इठलाती हुई, प्रार्थना स्वरों संग लहराती
बाती दीप के सागर की क्षीणता को,
अपने प्रेम से भरती रहती है।

लौ का लहराना,
बाती के जीवित रहने का प्रमाण है,
वह देखती रहती है दीप के सागर को,
क्षण-क्षण कम होते हुए और
विदाई समय को निकट आते हुए।

रोज उसे इस समय चक्र को पूरा करना है,
फिर बुझ कर पर दीप के कान्धों पर
सर रख कर,
अचेतन होकर सोना है।

दीप भी इस वियोग को सहता है,
फिर भी एक आशा दोनों को है
बस प्रातः से संध्या की दूरी है,
फिर से मंदिर में मिलेंगे
फिर से बाती लहराएगी।

अनेक घंटियों संग,
प्रार्थना के स्वरों की गूँज।
साक्षी बनेंगी,
इन दोनों के प्रेम की॥

परिचय-वंदना जैन की जन्म तारीख ३० जून और जन्म स्थान अजमेर(राजस्थान)है। वर्तमान में जिला ठाणे (मुंबई,महाराष्ट्र)में स्थाई बसेरा है। हिंदी,अंग्रेजी,मराठी तथा राजस्थानी भाषा का भी ज्ञान रखने वाली वंदना जैन की शिक्षा द्वि एम.ए. (राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन)है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक होकर सामाजिक गतिविधि बतौर सामाजिक मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत व लेख है। काव्य संग्रह ‘कलम वंदन’ प्रकाशित हुआ है तो कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होना जारी है। पुनीत साहित्य भास्कर सम्मान और पुनीत शब्द सुमन सम्मान से सम्मानित वंदना जैन ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनकी उपलब्धि-संग्रह ‘कलम वंदन’ है तो लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा वआत्म संतुष्टि है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नागार्जुन व प्रेरणापुंज कुमार विश्वास हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार व सामाजिक विषय पर लेखन की है। जीवन लक्ष्य-साहित्य के क्षेत्र में उत्तम स्थान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘मुझे अपने देश और हिंदी भाषा पर अत्यधिक गर्व है।’

Leave a Reply