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पानी है अनमोल

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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पानी है अनमोल,
समझो इसका मोल।
जो अभी न समझोगे,
तो सिर्फ पानी नाम सुनोगे।

आने वाले वर्षों में,
पानी बनेगा एक समस्या।
देख रहे हो जो भी तुम,
अंश मात्रा है विनाश का।
जो दे रहा तुमको संकेत,
जागो जागो सब प्यारे।
करो बचत पानी की तुम,
बूंद-बूंद पानी की बचत से
भर जाएगा सागर प्यारा।

बिन पानी कैसे जीएंगे,
पेड़-पौधे और जीव-जंतु।
और पानी बिना मानव,
क्या जीवित रह पाएगा !
बिन पानी के वो,भी मर जाएगा,
और भू मंडल में कोई,
नजर नहीं आएगा।
इसलिए ‘संजय’ कहता है-
नष्ट न करो प्रकृति के संसाधनों को।

बचा लो पानी वृक्षों और पहाड़ों को,
लगाओ और लगवाओ,
वृक्षों को तुम अपनों से।
कर सके ऐसा कुछ हम,
तभी मानव कहलाओगे।
पानी विहीन भूमि में,
पानी को तुम पहुँचाओगे।
और पड़ी बंजर भूमि को,
फिर से हरा-भरा कर पाओगे।
और एक महान कार्य करके,
दुनिया को दिखाओगे॥

परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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