हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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पार्टियों में बिक रही हैं टिकटें देखो,
जनता का बिकता है सस्ते में वोट
लोकतंत्र के पाक दामन में लगती है,
देखो भ्रष्टाचार के हथौड़े की चोट।
भारत माँ रो रही है खून के आँसू,
हमारी आँखें तो तनिक भी नम नहीं
राजनीति तो है ही लालों लाल इसमें,
कर्मचारी भी किसी से कोई कम नहीं।
अनुभव है यह भाई जनजीवन का,
यह किसी का कोरा करारा भ्रम नहीं
इस भ्रष्टाचार के सपोले को सबने देखा,
पर किसी में इसे पकड़ने का दम नहीं।
यह डस रहा है हर किसी को अब तो,
मचा दी इसने हर जगह पर तबाही है
देखो यह बढ़ रहा है गाँव की ओर अब,
न जाने किस-किसकी शामत आई है ?
वह रो रहा है गाँव का दुखियारा,
उसकी हस्ती नित गई दबाई है
वाह मार न सकता है चाँदी का जूता,
न ही तो उसने ‘हैलो-हाय’ करवाई है।
इसकी वजह से रुका है इलाज रामू का,
और देखो कमला की रुक गई सगाई है
कल तक जो थी शहरों में फैली महामारी,
आज वह गाँव-देहात में भी चली आई है।
काश! इस लाइलाज बीमारी का,
किसी को कोई तो तोड़ मिल जाता।
इस दलदल भरे सरोवर में कहीं तो,
कोई निस्पृह कमल खिल जाता॥