डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
******************************
क्या कहता है दिल,
सुन वश में नहीं हाय।
रुकते नहीं मेरे कदम,
कहीं के कहीं जाय॥
आँचल भी देखो,
हवा से बतियाये।
तार-तार महके
खुशबू जो उनकी आय।
व्याकुल है मनवा,
मन-मीत मिलने आय॥
क्या कहता है दिल,
सुन वश में नहीं हाय…
मिलन की इसे धुन है,
कुछ नजर नही आय।
दिल हौले-हौले डोले,
मन ही मन मुस्काय।
फूलों से देखो मिलने,
मधुकर चले आय।
तसव्वुर में मेरी,
नजर झुकी जाय॥
क्या कहता है दिल,
वश में नहीं हाय…
छुपाऊँ दिल की लगी,
छुपाया भी नहीं जाय।
आँचल नहीं वश में,
सरक-सरक जाय।
स्याह भरी ये मंजिल,
फिर क्यों रास आय।
कदमों में आज मेरी,
तकदीर नजर आय॥
क्या कहता है दिल,
सुन वश में नहीं हाय…॥