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माँ की प्रार्थना ईश्वर से

प्रेरणा सेन्द्रे
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


कहते हैं माँ बनने का सौभाग्य किस्मत वालों को मिलता है,पर माँ बनकर उसका सुख ना मिल पाए वो सबसे बड़ी बदकिस्मती है।
ममता जो पल-पल मौत की ओर बढ़ रही है और सोच रही है कि उसके बाद उसके बच्चों का क्या होगा…? इससे अच्छा तो मैं माँ ही नहीं बनती। भूल नहीं पा रही थी वो दिन, जब बेटी के पैदा होने के बाद एक बेटे की आस थी ताकि परिवार पूरा हो। ईश्वर की लीला से जुड़वां बेटे हुए,ख़ुशी इतनी कि शब्द नहीं थे। और फिर वही,हर ख़ुशी के बाद गम…बच्चे सात साल के ही हुए कि ब्रेन का कैंसर दुश्मन बन गया। तिल-तिल मौत के मुँह में जाती ममता आधी मौत तो बच्चों की मायूसी देखकर ले आती थी।
ईश्वर से यही प्रार्थना कर रही कि,अगर मैं बच्चों की जिम्मदारी नहीं उठा सकती थी तो मुझे तीन बच्चे क्यों दिये…? किस गुनाह की सजा मुझे दी जिसके तहत मेरे बच्चे भी अपना बचपन भूल गए।
मेरे पास कुछ ही दिन है,मैं बस ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ कि किसी माँ को मेरे जैसी सजा ना दे,और ऐसा सोचते-सोचते ममता हमेशा कॆ लिए अपनी आँखों में आँसू भरकर सो गई।

परिचय : प्रेरणा सेन्द्रे का निवास इन्दौर में ही है। एमएससी और बीएड(उ.प्र.) तक शिक्षित होकर आप वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। आपने योग का कोर्स भी किया है। लेखन में आप शौकियाना हैं। श्रेष्ठ लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। आपकी जन्म तिथि-१४ नवम्बर १९७१ हैl वर्तमान में इंदौर(म.प्र.) में ही रहती हैंl सामाजिक गतिविधि में आप थैलीसीमिया के लिए कार्यरत संस्था में संयुक्त सचिव पद पर सेवारत हैंl लेखन विधा में-कविता,कहानी,लघुकथा लिखती हैंl  आपको साहित्यिक संस्थाओं द्वारा शब्द शक्ति सम्मान आदि दिए गए हैं,तो विशेष उपलब्धि में जय महाकाल @ सिंहस्थ के लिए इंदौर में सम्मान,भोपाल में सम्मान और साझा संग्रह में रचना प्रकाशन के लिए सम्मान पाना हैl श्रीमती सेन्द्रे की लेखनी का उद्देश्य-अपने विचारों को लेखनी से जीवित रखना एवं दूसरों तक पहुँचाना हैl

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