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माँ तो माँ ही होती

डॉ.रामावतार रैबारी मकवाना ‘आज़ाद पंछी’ 
भरतपुर(राजस्थान)
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चाहे अच्छी हो चाहे बुरी हो
आखिर में माँ तो माँ ही होती है,
बच्चे को सुलाती सूखे में,
माँ खुद गीले में सोती हैl

जब-जब बच्चा रोता है
तब-तब माँ अपना दूध पिलाती हैं,
भर जाता माँ का आँचल ममता से,
अमृत की धारा बहती हैंl
चाहे…ll

इस अंधकार के जीवन में
माँ ज्ञान का दीप जलाती है,
जब काँटे मिलते राहों में,
माँ अपना पल्लू खूब बिछाती हैl
चाहे…ll

जब तू तुतलाकर बोली बोलें
माँ ऊँगली पकड़ चलाती है,
ना नज़र लगे इस दुनिया की,
माँ जग से तुम्हें छुपाती हैl
चाहे…ll

होता माँ का दिल बहुत बड़ा
माँ जग का भेद-भाव मिटाती है,
चाहे हिंदू हो चाहे मुस्लिम हो
चाहे काला हो चाहे गोरा हो,
चाहे लड़का हो चाहे लड़की हो
माँ हर बच्चे को सीने से चिपकाती हैl
चाहे…ll

ना नज़र लगे माँ की ममता को
सौगंध आज फिर माँ की खानी है,
जो कष्ट सहे माता ने हम पर
उनकी कीमत फिर आज चुकानी हैl
चाहे…ll

चलो दीप जलायें उस माता को
जो माँ घर-घर दीप जलाती है,
भर देती घर-आँगन खुशियों से
वो माँ जग-जननी कहलाती हैl
चाहे अच्छी हो चाहे बुरी हो,
आखिर में माँ तो माँ ही होती है…ll

परिचय-डॉ.रामावतार रैबारी मकवाना की जन्म तारीख-२० अप्रैल १९८४ एवं जन्म स्थान -नावली है। साहित्यिक उपनाम ‘आज़ाद पंछी’ से पहचाने जाने वाले डॉ.मकवाना वर्तमान में राजस्थान स्थित गाँव-नावली जिला-भरतपुर में स्थाई निवासी हैं। आप हिन्दी और राजस्थानी भाषा का ज्ञान रखते हैं। बी.ए. एवं बी.एस-सी. (नर्सिंग) तक शिक्षित होकर बतौर चिकित्सक स्वयं का दवाखाना संचालित करते हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाजसेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी व ग़ज़ल है। प्रकाशन में-शुभारम्भ(साँझा काव्य संग्रह) आपके नाम है। आपको साहित्य क्षेत्र में श्री नर्मदा साहित्य सम्मान और भारत गौरव रत्न सम्मान मिला है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को जागृत करना है। मुंशी प्रेमचंद एवं हरिवंशराय बच्चन को पसंदीदा लेखक मानने वाले ‘आजाद पंछी’ के लिए अटल बिहारी वाजपेयी प्रेरणापुंज हैं।

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