मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’
महासमुंद(छत्तीसगढ़)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………
जीवन देती है,ओ जन्म देती है,
सूखे में सुलाती माँ,गीले में सोती है।
माँ तो माँ होती है,माँ तो माँ होती है,
माँ तो माँ होती है,माँ तो होती है।
मानव हो या पशु पक्षियां,माँ ही सबको देती खुशियाँ,
माँ के चरणों में सारी दुनिया,माँ से ही खुशनसीबियां।
ममता की मूरत है माँ,प्याार का बीज बोती है,
माँ तो माँ होती है,माँ तो माँ होती है।
गुड्डे हो या हो गुड़िया,माँ सुलाती प्यारी निंदिया,
देखती है एक नजरिया,सचमुच में प्यारी मइया।
दुनिया मार कर हँसती है,माँ डांट भी दे तो रोती है,
माँ तो माँ होती है,माँ तो माँ होती है॥