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लीला गिरधारी लाल की

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

कंस-वासुदेव की मित्रता की,गाथा बड़ी विशाल थी,
देवकी प्यारी कंस की बहना,सुशील बड़ी सयान थी
करता प्यार बहुत बहना से,वह उसकी अभिमान थी,
हाथ पीले कर दूँ बहना के,दिली इच्छा अविराम थी।

फिराक थी अच्छे वर की,वसुदेव मन को भा गए,
धूमधाम से हुई सगाई,विदाई के समय कंस घबरा गए
आकाशवाणी हुई हे कंस! तुम इतना क्यों इतरा गए,
देवकी सुत होगा काल तेरा,तुम शादी कर ठगा गए।

डरकर कंस काल के भय से,बंदी घर में डाल दिया,
रोने लगे वासुदेव-देवकी,हमने क्या अपराध किया
माफ़ करो जाने दो हमको,घमंडी ने न स्वीकार किया,
कटने लगे दिन-रैन जेल में,भगवन को तब याद किया।

सुनो हमारी अरज गोसाईं,देवकी ने ध्यान लगा डाला,
विष्णु ने अवतार लिया तब,प्रगटे श्याम वंशी वाला
मुरलीधर ने तान सुनाई,हरसीं सब बृज की बाला,
ग्वाल-बाल संग धेनु चरावे,मन मोहन मुरली वाला।

कंस को मारे धर्म बचाये,रक्षा ग्वाल-बाल की,
यदुवंश का नाम बढ़ाए,उपाधि लिए नंदलाल की
गोवर्धन को धारण किये,जय हुई गिरधारी लाल की,
कहे उमेश कष्ट हरो तुम,जय हो गिरधारी लाल कीll

परिचय-उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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