संजय जैन ‘बीना’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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बसंत पंचमी विशेष….
वो ज्ञान की माता है,
सरस्वती नाम है उनका
वो विद्या की माता है,
शारदा माता नाम उनका।
हाय रे मन का पागलपन,
मुझसे लिखवाता है
क्या मुझे लिखना,
क्या वो लिखवाता
ये तो वो ही जाने,
मन में मेरे वो आकर
लिखवाती हैं मुझसे।
इधर जिंदगी झूम रही है,
उधर मौत खड़ी
कोई क्या जाने कब आ जाए,
मेरा बुलावा जी
और क्या लिखना,
मुझको रह गया है अब बाकी।
मेरे दिल और ध्यान में सदा,
रहती है माता जी
जो कुछ भी मैं लिखता और गाता,
उनकी कृपा दृष्टि से।
मैं उनके चरणों में,
वंदन बारम्बार करता॥
परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।