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शत-शत नमन

डाॅ.देवेन्द्र जोशी 
उज्जैन(मध्यप्रदेश)

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शत-शत नमन है धरा की धूल को,
जन्म दिया जिसने बलराम से फूल को।
फूल जो मातृभूमि की भेंट चढ़ गया,
देख दुश्मन को वो आगे बढ़ गया।
बिना रूके बिना डरे लड़ता ही गया,
सीना ताने बहादुरी से बढ़ता ही गया।
आतंकियों से लड़ते-लड़ते कुर्बान हो गया,
माँ का लाड़ला मुल्क पर बलिदान हो गया।
तिरंगे में लिपटी लाश बेटे की जब घर आई थी,
आसमां भी रोया और धरती भी थर्राई थी।
बहादूर गंज के बेटे ने बहादुरी का इतिहास रचा,
इकलौते लाल को खोकर पास माँ के कुछ न बचा।
सर्वस्व लुटा चुकी माँ का क्या हुआ होगा हाल,
मलाल था इतना कि एक ही था उसका लाल।
होता अगर उस बहादुर माँ का एक और सपूत,
भेजकर बदला लेने को देती वो वीरता का सबूत।
कलेजे पर रख पत्थर किया था जिसने लाल को विदा,
खबर आई कि वो माँ हो रही आज संसार से अलविदा।
१९ वर्षों से थी जो अपने बेटे से मिलने की फिराक में,
साल २००० में हुआ था जो शहीद वतन की खाक में।
पल-पल जो माँ रहती थी बेटे से मिलने को बेताब,
क्या-क्या संजोए थे त्याग की देवी ने ख्वाब।
बेटे की शहादत में सब मुल्क की भेंट चढ़ गए,
जवां बेटे की तस्वीर पर शहादत के फूल चढ़ गए।
ममता की मूरत शहीद माँ में हो गई थी तब्दील,
कुदरत ने बरती नहीं थी क्रूरता में कोई ढील।
बेटे से मिलन की माँ की अधूरी रह गई थी आस,
बरसों बाद आज माँ-बेटे दोनों होंगे पास-पास।
धरती पे हो न सका जीते जी जो मिलन,
स्वर्ग में होगा शहीद से आज माँ का मिलन।
कितने दारूण दु:ख से भरा होगा ये मिलन,
सोचते ही कांपते कलेजे में होता है विचलन।
धन्य है वो माँ जिसने दिया ऐसे सपूत को जन्म,
चरणों में नत मस्तक है उसके तन मन जीवन।
जाओ सरजू बाई ! राष्ट्र करता है तुम्हें शत-शत नमन,
नम आँखों की भीगी पलकों से भाव विगलित है मन।
ऐसी ललना और लाल के चरणों में है कोटि सलाम,
जब तक चमकेंगे सूरज-चांद माँ-बेटे का रहेगा नाम॥

परिचय–डाॅ.देवेन्द्र जोशी का निवास मध्यप्रदेश के उज्जैन में हैl जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६२ और जन्म स्थान-उज्जैन (मध्यप्रदेश)है। वर्तमान में उज्जैन में ही बसे हुए हैं। इनकी पूर्ण शिक्षा-एम.ए.और पी-एच.डी. है। कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता होकर एक अखबार के प्रकाशक-प्रधान सम्पादक (उज्जैन)हैं। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप एक महाविद्यालय-एक शाला सहित दैनिक अखबार के संस्थापक होकर शिक्षा,साहित्य एवं पत्रकारिता को समर्पित हैं। पढ़ाई छोड़ चुकी १००० से अधिक छात्राओं को कक्षा १२ वीं उत्तीर्ण करवाई है। साथ ही नई पीढ़ी में भाषा और वक्तृत्व संस्कार जागृत करने के उद्देश्य से गत ३५ वर्षों में १५०० से अधिक विद्यार्थियों को वक्तृत्व और काव्य लेखन का प्रशिक्षण जारी है। डॉ.जोशी की लेखन विधा-मंचीय कविता लेखन के साथ ही हिन्दी गद्य और पद्य मेंं चार दशक से साधिकार लेखन है। डाॅ.शिवमंगल सिंह सुमन,श्रीकृष्ण सरल,हरीश निगम आदि के साथ अनेक मंचों पर काव्य पाठ किया है तो प्रभाष जोशी,कमलेश्वर जी,अटल बिहारी,अमजद अली खाँ,मदर टैरेसा आदि से साक्षात्कार कर चुके हैं। पत्रिकाओं सहित देश- प्रदेश के प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्रों में समसामयिक विषयों पर आपके द्वारा सतत लेखन जारी है। `कड़वा सच`( कविता संग्रह), `आशीर्वचन`, आखिर क्यों(कविता संग्रह) सहित `साक्षरता:एक जरूरत(अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता वर्ष में प्रकाशित शोध ग्रन्थ) और `रंग रंगीलो मालवो` (मालवी कविता संग्रह) आदि आपके नाम हैl आपको प्राप्त सम्मान में प्रमुख रुप से अखिल भारतीय लोकभाषा कवि सम्मान, मध्यप्रदेश लेखक संघ सम्मान,केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड सम्मान,ठाकुर शिव प्रतापसिंह पत्रकारिता सम्मान,वाग्देवी पुरस्कार,कलमवीर सम्मान,साहित्य कलश अलंकरण और देवी अहिल्या सम्मान सहित तीस से अधिक सम्मान- पुरस्कार हैं। डॉ.जोशी की लेखनी का उद्देश्य-सोशल मीडिया को रचनात्मक बनाने के साथ ही समाज में मूल्यों की स्थापना और लेखन के प्रति नई पीढ़ी का रुझान बनाए रखने के उद्देश्य से जीवन लेखन,पत्रकारिता और शिक्षण को समर्पण है। विशेष उपलब्धि महाविद्यालय शिक्षण के दौरान राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद स्पर्धा में सतत ३ वर्ष तक विक्रम विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व और पुरस्कार प्राप्ति हैl आपके लिए प्रेरणा पुंज-माता स्व.श्रीमती उर्मिला जोशी,पिता स्व.भालचन्द्र जोशी सहित डाॅ.शिवमंगल सिंह सुमन,श्रीकृष्ण सरल,डाॅ.हरीश प्रधान हैं। आपकी विशेषज्ञता समसामयिक विषय पर गद्य एवं पद्य में तत्काल मौलिक विषय पर लेखन के साथ ही किसी भी विषय पर धारा प्रवाह ओजस्वी संभाषण है। लोकप्रिय हिन्दी लेखन में आपकी रूचि है।