ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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फिर वही,
शाम उदास…
क्योंकि,
देखता रहा दिनभर,
ख़ुशी के मैसेज, स्टेटस,
फिर सरका दिया
औरों के पास।
कुछ भी तो नहीं रखा,
अपने पास…
जिसे बना सकूं,
जीवन में कुछ खास।
इससे तो अच्छा था,
जब मोबाइल न था…
अपनापन था,
अपनों में दोष न था
खुशियाँ थी भरपूर,
और सभी
मौन हुआ करते थे।
निस्तब्ध,
चुप्पी भरे संगीत में॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।