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शिक्षा में रामायण और गीता जरुरी

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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भौतिकवाद के युग में हम विकास की बुलंदियो को छू रहे हैं,और विश्व स्तर पर भौतिक विकास में चार चाँद लगा दिए हैं। तकनीकी के क्षेत्र में भी भारत विश्व स्तर पर अग्रणी है,लेकिन इतना होने पर भी मानव अशांत है। शांति का बीजारोपण कैसे हो, उसका साधन क्या है ? शांत चित्त,हृदय, मन,बुद्धि,विचार ही सुख-समृद्धि की देन है। मनुष्य की स्वच्छता कैसे हो ? आज हम अपने अध्यात्म को भूलते जा रहे हैं। अध्यात्म के बिना जीवन नीरस है। रामायण आदर्श,मर्यादा,सेवा भाव,और आदरणीय भाव का मूल ग्रन्थ है। इसलिए,रामायण को विद्यालयों में या उच्च स्तर पर पढ़ाना और पढ़ना नित्यान्त आवश्यक है। गीता ज्ञान और कर्म का समन्वय है,जो आज समाज में सभी विद्यार्थियों नागरिकों,बुजुर्गों और समस्त समाज के मानव के मन की चंचल प्रवृत्तियों को रोकने का अचूक बाण है, जिससे आतंकवाद,नक्सलवाद,भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी और उग्रवाद जैसे असुरों को मार गिराया जा सकता है। देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तथा अन्य सभी राजनेताओं से आग्रह है कि आप रामायण और गीता को विद्यालयों,महाविद्यालयों,विश्वविद्यालयों में पाठयक्रम में जोड़ कर नियमित रूप से शिक्षक प्रतिदिन एक कालखंड अवश्य पढ़ाएं और समझा कर बच्चों में सदभावना का बीज बो कर सेवा रूपी फसल पाकर एक श्रेष्ठ समाज का निर्माण करें।

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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