संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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आकाश धरा, जल, अग्नि, और वायु शिवशम्भू के रूप हैं सारे,
पंचमहाभूतों का कर संतुलन शिव समस्त जीव-सृष्टि को उबारे।
सृजन पनपाने वाले रमापति शिव जी सृष्टि निर्माण को साकारे,
शिव के अनुपम इस निर्माण में
माँ पार्वती कुंचला से रंग भरे।
ओ ! उमा-महेश्वर देवादि-देवा हम पृथ्वीजनों का प्रणाम स्वीकारें,
शिव-शम्भू हर हर शम्भो महादेव जी की आओ हम आराधना करें।
कैसे-कैसे ये पर्वत, ये मेघों की बारातें, सू सू… बहा दी पवन,
वन-उपवन, जंगल निर्माण कर रमाया यहाँ जीवों का तन-मन।
पहाड़ों की कोख से निकली सरिताएं, कराती जीवों का आचमन,
ये दिशाएँ, ये फिजाएँ, ये उमड़ती हवाएँ करती सुरभित अंतर्मन।
ओ ! शम्भो, जीवों को रमाने वाले, कृतज्ञ हैं हम सभी पृथ्वीजन,
हम आरती उतारें, प्रणाम स्वीकारें शम्भो हमारा, पुकारता जन-जन।
ये उमड़ती कलिकाएं, बहकती हवाएँ, सुरभित कराती दिन- निशाएं,
ये लहराते फूल, लतिकाओं की झूल, और प्राण पिरोती दिशा- दिशाएं।
ये लहराती फसलें, प्राणियों की नस्लें, और पोषण कराती ये वनिताएं
गुनगुनाते भ्रमर ये, तितली दल का सफ़र ये, पल्लवित करते फिजाएँ।
नवनीत कल्पना के शिव सृजनकारी, शैलपुत्री रंगारी, स्वीकारो वन्दनाएं,
अनुपम सृष्टि के उम्दा साथियों, आओ शिवसृष्टि मिलकर जतन निभाएं॥
परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह),
‘पंचवटी के राम’ (गद्य और पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘रामदर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज एवं नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।