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शिव-स्तुति

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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शिव-शंभू तुम अंतर्यामी।
तुमको‌ अनंत नमामि-नमामि॥

शरणागत वत्सल प्रभु शिव हो,
कष्टन-त्राता अभय-प्रदाता।
भाग्य को सीधा करने वाले,
मंगल-दाता विश्व-विधाता॥
कर चरणों में प्रणामी-प्रणामी,
शिव-शंभू…

भजें जो शिव को साँस-साँस में,
तीनों ताप पास ना आवें।
भस्म पाप-राशि हो सगरी,
दान-धर्म बिन जप-तप पावें॥
माथ लिखूं शिव स्वामी-स्वामी,
शिव-शंभू…

इस तन-मन का सब सत् हो तुम,
हृदय-गुफा में तुम शिव-योगी।
सारी सृष्टि समाहित शिवलिंग,
भोग-प्रणय में तुम शिव-भोगी॥
महिमा मुख सों वदामी-वदामी,
शिव-शंभू…

सेवित-पूजित सब देवों से,
देव अनेक तुम ‌महादेव हो।
लोक सभी आज्ञा अधीन हैं,
तुम्हीं अंत तुम आदिदेव हो॥
पल-पल नाम भजामि-भजामि,
शिव-शंभू…

सब कुछ बांट देव, जग भक्तन,
रहें मगन प्रभु बाघाम्बर में।
देकर अमृत विष पी जाऐं,
फैला तेज धरती अम्बर में॥
मन-काशी शिव धामी-धामी,
शिव-शंभू…

शिव-शंभू तुम अंतर्यामी।
तुमको अनंत नमामि-नमामि॥