पटना (बिहार)।
वयोवृद्ध साहित्यकार शिवमंगल सिद्धांतकर की कविता में आज भी गजब की ताजगी दिख पड़ती है। नवसर्वहारा सांस्कृतिक मंच और ‘कथान्तर’ की ओर से वरिष्ठ कवि विचारक शिवमंगल सिद्धांतकर के कविता संग्रह ‘अंधेरे की आँख’ और संस्मरण संग्रह ‘संस्मरण संभव’ पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
इस पूरे कार्यक्रम का संचालन ‘कथान्तर’ के सम्पादक कथाकार और मंच के राणा प्रताप ने किया। वरिष्ठ कवि राम तिवारी ने शिवमंगल सिद्धांतकर का होना, शीर्षक से अपनी कविता पढ़ी। सिद्धांतकर जी के संस्मरण को उन्होंने हिंदी कविता की क्रांतिकारी धारा को समझने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। इसका आयोजन गांधी संग्रहालय में किया गया। कथाकार संतोष दीक्षित ने कहा कि, इन संस्करणों को लिखना संभव हुआ, यह एक सफलता है। प्रो. शरदेंदु कुमार ने कहा कि, सिद्धांतकर जी द्वारा परिवर्तनकारी कवियों व साहित्यकारों का संस्मरण आज के दौर में संघर्ष करने वालों के लिए मददगार होगा। अंत में अनिल अंशुमन ने विजेंद्र अनिल के गीत ‘लिखने वालों को मेरा सलाम, पढ़ने वालों को मेरा सलाम’ सुनाया। इस मौके पर जसस के बिहार राज्य अध्यक्ष आलोचक जितेंद्र कुमार, कवि सिद्धेश्वर, आदित्य कमल, चितरंजन भारती, प्रो. रघुनाथ की अहम भूमिका रही।