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संस्कार चुनरिया

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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ईरान हिजाब आंदोलन…

ओढ़ हया संस्कार चुनरिया,
लगती देवी जैसी नारी
लेकिन घूँघट इतना भी न हो,
दिखने लगे निपट बेचारी…।

साज श्रंगार मूल्य न कोई,
इक चुनर बिन शून्य हजारी
सुंदरता सम्मान दमक भी,
तन लग इस चुनर ने सवारी…।

गहना लज्जा रख मुख पर,
नत होती है दुनिया सारी
मुखड़ा स्त्री क्यों छिपाए अपना,
छिपाए नर पापी व्यभिचारी…।

पहनावे वस्त्र महत्व बड़ा,
सजती तन ढकी वस्त्रधारी।
लेकिन ढक दोगे आत्मा को,
नारी बन जाएगी कटारी॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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