प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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मैं जब एम.ए. का विद्यार्थी था, तब मैंने एक दिन नहीं;बल्कि कई दिन सपना देखा था कि मैं बड़े मंच पर एक माइक के सामने खड़ा हूँ, और ज़ोरदार भाषण दे रहा हूँ।सामने भारी भीड़ तालियाँ बजाकर मेरा हौसला बढ़ा रही है, और तारीफ कर रही है, और अगले दिन के अखबारों में बस मेरे ही चर्चे हैं।
यह सपना मेरी महत्वाकांक्षा का सूचक था, पर यह मेरे अंतर्मन में अवस्थित हो गया। मैंने पढ़ाई सहित हर काम को अत्यंत गंभीरता और मनोयोग से लेना शुरू कर दिया। एम.ए. में मेरिट पोजीशन लेकर हायर एजुकेशन में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया। पढ़ने, कविताएं व लेख लिखने और पत्रिकाओं में छपने का क्रम तो पहले से ही चला आ रहा था, मैंने यह क्रम और बढ़ा दिया। कुछ समय में ही मैं जाने-माने मंचीय कवि-लेखकों, वक्ताओं व विचारकों में गिना जाने लगा। मैं प्रोफेसर, हेड आफ डिपार्टमेंट व बाद में प्रिंसिपल के रूप में भी बड़ा नाम बन गया। साहित्य में मेरी पुस्तकों को कई अवार्ड मिले।अखबारों व पत्र-पत्रिकाओं का बहुचर्चित फेस बन गया। मंचों, रेडियो, टी.वी. चैनलों पर मैं धूम मचाने लगा।
आख़िरकार मेरा सपना साकार हो ही गया। तो, आज मैं सपने के साकार होने का आनंद लेने में मस्त हूँ।
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।