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हरेली त्योहार

अर्चना पाठक निरंतर
अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)
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हरियाली का अपभ्रंश है हरेली,
छत्तीसगढ़ी प्रकृति पूजते बना सहेली।

नांगर,कोपर रापा,कुदारी,चतवार सूजा,
कृषि कार्य ही इनकी सर्वोत्तम पूजा।

होम धूप दे भोग लगे चीला,
हर कृषक रहता यहाँ खिला-खिला।

डोंगहार सिंदूर का त्रिशूल बना पूजते नाव,
भेलवा और महुआ डाली दरवाजे पर रखते पूरे गाँव।

हरेली के दूसरे दिन राउत या पहटिया,
गाय चराने धरते हाथों में लठिया।

भूत- प्रेत, पिशाच बाधा भगाने के लिए,
चौखट पर कील ठोंकते लोहार गृहस्वामी बचाने के लिए।

अगरिया निकालते मिट्टी से लोहा,
ग्रहण समय बनाते कंगन,मूंदरा,चूल्हा।

इस समय लोहार करते प्रार्थना,
लोहासुर,तांबासुर,कांसासुर की आराधना।

गेड़ी देती है उत्तम संदेश,
जमीन से जुड़े मिले ना ठेस।

बस्तर दशहरा शुभारंभ इस दिन से,
माँ दंतेश्वरी की करते तेली मालिश तिल तेल से।

चढ़ाते कलार महुआ शराब खरा,
लगाते भोग चावल और उड़द का बरा।

बलि प्रथा अब तक जारी,
मुर्गा-बकरा कबूतरी प्यारी।

नगाड़े मोहरी वाद्य यंत्रों की होती पूजा,
प्रसाद पाते वादक खाते और न दूजा।

समर्थ हिसाब से विधि-विधान की मात्रा है,
हरेली अंधकार से प्रकाश पथ की यात्रा है॥

परिचय-अर्चना पाठक का साहित्यिक उपनाम-निरन्तर हैl इनकी जन्म तारीख-१० मार्च १९७३ तथा जन्म स्थान-अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)हैl वर्तमान में आपका स्थाई निवास अंबिकापुर में है। हिन्दी,अंग्रेजी और संस्कृत भाषा जाने वाली अर्चना पाठक छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखती हैंl स्नातकोत्तर (रसायन शास्त्र),एलएलबी सहित बी.एड. शिक्षा प्राप्त की हैl कार्यक्षेत्र-नौकरी(व्याख्याता)हैl सामाजिक गतिविधि के निमित्त बालिका शिक्षा के लिए सतत प्रयास में सक्रिय अर्चना जी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हुई हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, लेख,गीत और ग़ज़ल हैl प्रकाशनाधीन साझा संग्रह हैl पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई है तो आकाशवाणी(अंबिकापुर) से कविता पाठ का निरन्तर प्रसारण होता है। आपको प्राप्त सम्मान में साहित्य रत्न-२०१८,साहित्य सारथी सम्मान- २०१८ और कवि चौपाल शारदा सम्मान हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समसामयिक समस्याओं को उजागर कर समाजसेवा में भागीदारी अपनी लेखन कला का विकास एवं सक्रियता बनाये रखना है। आपकी पसंदीदा हिंदी लेखक-श्रीमती महादेवी वर्मा है,तो प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। अर्चना जी का सबके लिए संदेश यही है-मन की सुनते जाओ,जो तुमको अच्छा लगता हो वही करो,जबरदस्ती में किया गया कार्य खूबसूरत नहीं होता है। विशेषज्ञता-कविता लेखन है।

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