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अँधेरे से मत डर

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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अँधेरे से मत डर, कि इसकी उमर नहीं होती,
तू तो मंजिल देख, जिसपे सबकी नजर नहीं होती।

फैसले ले, बढ़ता चल…फलक के सितारे देख,
डर मत, क्योंकि नाकामयाबी कोई डगर नहीं होती।

गर जीवन कंटकभरा तो यही स्वीकार ले,
कर दे सुराख, मेहनती को कोई फिकर नहीं होती।

उठा नाव संघर्ष की, चला जमकर पतवार जरा,
राह में जीत की, बार-बार बाधा लहर नहीं होती।

अरे, किसने रोका है तेरे बढ़ते अरमानों को,
कर मन पक्का, जीवन-नदी में सबर नहीं होती॥

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