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अंतरिक्ष स्वप्न

श्रीमती पुष्पा शर्मा ‘कुसुम’
अजमेर(राजस्थान)
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यह कलियुग है,
और कलयुग भी।
नित नूतन यंत्रों का आविष्कार,
पल-पल होता परिष्कार।
इनके बल पर ही देखे जाते,
अंतरिक्ष में उड़ने के स्वप्न
प्राप्त होते नित नूतन अनुभव।
खोजे जाते सृष्टि के सूक्ष्म रहस्य,
ग्रह,उपग्रहों के भिन्न-भिन्न
घनत्व।
प्राप्त सूचनाएं संभाव्य,
मानव जीवन का निर्वाह
नहीं रुकती मानव मन की जिज्ञासा,
कहाँ पूर्ण होती पूरी अभिलाषा।
हर नए पंख
भरना चाहते नयी उड़ान,
देखते दिन में ही
अंतरिक्ष के स्वप्नll

परिचय  : श्रीमती पुष्पा शर्मा का साहित्यिक उपनाम-कुसुम और जन्मतिथि-२४ जुलाई १९४५ है। राजस्थान राज्य के कुचामन(जिला-नागौर)शहर में जन्मीं श्रीमती शर्मा वर्तमान में हरीभाऊ उपाध्याय नगर-अजमेर(राजस्थान) में निवासरत हैं। आपकी शिक्षा-एम.ए.और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से सेवानिवृत व्याख्याता(हिन्दी विषय)हैं।सामाजिक गतिविधि में वृद्धाश्रमों की यथासंभव सेवा कार्य सेवा समूह के माध्यम से करती हैं,तो अन्ध विद्यालय और बधिर विद्यालय आदि से भी जुड़कर कार्यरत हैं। लेखन में दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य के साथ ही आप चौपाई,घनाक्षरी,रोला आदि छंदबद्ध एवं छंदमुक्त,अतुकांत, गीत आदि और गद्य में संस्मरण, लघुकथा,समालोचना एवं साक्षात्कार आदि रचती हैं। सोशल मीडिया के तहत चुनिंदा साहित्यिक समूहों के माध्यम से भी काव्य सृजन करती हैं। आपकी रचनाओं का प्रकाशन वेब पोर्टल के साथ ही कुछ साहित्यिक ई-पत्रिका व अन्य में भी हो चुका है। संस्थाओं द्वारा विभिन्न लेखन व प्रतियोगिता पर आपको सम्मानित किया गया है। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।

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