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अबोध कली

स्मृति श्रीवास्तव
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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सुबह उठकर पौधों के साथ समय बिताना राधा को बहुत पसंद है। रंग-बिरंगे फूलों की खुशबू और ताजी हवा राधा को अंदर से ऊर्जावान कर देती है। इसलिए राधा अपने दिन की शुरुआत हमेशा बगीचे में समय बिता कर ही करती है। उस दिन भी राधा सुबह-सुबह अपने पौधों में पानी डाल रही थी,कि उसकी नजर सामने से आती राजो पर पड़ी (राजो उसकी कामवाली बाई का नाम)।
राधा ने देखा सामने से राजो और उसके पीछे-पीछे उसके दोनों बच्चे चले आ रहे हैं। छोटे-छोटे क्यारी में खिले सुकोमल फूल जैसे कोमल बच्चों को देखकर राधा के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
राधा ने पास आती राजो से कहा-‘क्या बात है ? आज तो सुबह-सुबह पूरी फौज चली आ रही है! और हां राजो,तू कल आई क्यों नहीं थी ?’
राजो- ‘क्या करूं भाभी लाना पड़ता है फौज को, कहां छोड़ दूं,कहीं सुरक्षित भी तो नहीं है बच्चे!’ (ठंडी आवाज में कहा)
‘अच्छा किया,जो ले आई,पर हुआ क्या है ? ऐसा क्यूं बोल रही है ?’ राधा ने कौतुहलवश पूछा।
‘क्या बताऊं भाभी कल झगड़ा हो गया था इसलिए नहीं आई।’ राजो ने ठंडी आवाज में कहा।
‘झगड़ा! क्यों और कैसे ?’ राधा ने अधीर होकर पूछा।
राजो ने अपने ३ साल के बच्चे की तरफ इशारा करते हुए कहा ‘अरे भाभी क्या ही बोलूं,हमारे मोहल्ले के ही एक लड़के ने इसके साथ बलात्कार किया,इसलिए उसके परिवार से हमारा झगड़ा हो गया।’
इतना सुनते ही राधा के हाथ से पानी का पाइप छूट गया और मुंह खुला का खुला रह गया…। सामने खड़ा ३ साल का अबोध सोनू राधा और अपनी मां को टुकुर-टुकुर देख रहा था।
राधा ने किसी तरह अपने-आपको संभाला और राजो व बच्चों को लेकर अंदर आ गई। पहले राधा ने दोनों बच्चों को बिस्कुट खाने को दिए और राजो को चाय बना कर दी,फिर पूछा-‘क्या हुआ राजो,साफ-साफ बता।’
राजो ने चाय का घूंट भरा और बोली -‘भाभी हमारे मोहल्ले का ही एक लड़का है,तेरह- चौदह साल का है। वह इसे रोज चॉकलेट-बिस्कुट खाने को देता था और अपने साथ खिलाता भी था,और यह भी उसके साथ भैया-भैया करके खेलता था। मैंने भी कभी इसे रोका नहीं। सोचा कि दोनों लड़के हैं,सो साथ खेलते हैं,पर कल सोनू मुझसे बोला मम्मी लैट्रिन जाना है,तो मैं उसे लेकर गई। जब इसे साफ कर रही थी,तो सोनू रोने लगा। इसके पीछे का शरीर जख्मी था,जिससे इसे बहुत दर्द हो रहा था। जब पूछा तो सोनू ने बताया कि वो भैया ने अपनी नुन्नू फंसा दी थी,इसलिए मुझे चोट लग गई।’
राधा ने एक नजर मासूम सोनू पर डाली और पूछा ‘तुमने पुलिस में शिकायत नहीं की ?’
‘मैंने सोनू के पापा को बोला था भाभी,पर उस लड़के के मां-बाप पैर पकड़कर रोने लगे। आत्महत्या की धमकी देने लगे तो सोनू के पापा ने रिपोर्ट नहीं की।’
राजो की आँखें आँसुओं से भर गईं। राजो की आँख में आँसू देख कर सोनू मां की गोद में बैठ कर नन्हें हाथों से उसके आँसू पोंछने लगा।
…और राधा सपाट आँखों से बाहर उस अबोध कली को देख रही थी,जिसका रस भंवरा फूल बनने के पहले ही चुरा रहा था।

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