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‘हँसी’ एकजुट करने में सक्षम

ललित गर्ग

दिल्ली
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‘विश्व हास्य दिवस’ (५ मई) विशेष…

‘विश्व हास्य दिवस’ एक उपहार है, एवं बिना खर्च के खुशियाँ मनाने एवं हंसकर तनाव दूर करने का विलक्षण एवं अद्भुत दिन है। यह हमें एकजुट करता है, जीवन को बेहतर बनाता है। मई महीने के पहले रविवार को मनाए जाने वाला यह दिन हँसने-हँसाने के बहुत सारे अवसर प्रदत्त कर अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास को सुनिश्चित करता है। हँसने-हँसाने से तन-मन में उत्साह का संचार होता है, वहीं दिल से हँसना भी किसी दवा से कम नहीं है। अध्ययन के मुताबिक, जो लोग अक्सर हँसते हैं, वे अधिक समय तक जीवित रहते हैं। बेहतर, समृद्ध और खुश रहते हैं, साथ ही ऊर्जा भी काफी सकारात्मक होती है। दूसरे आप पर हँसकर आपको दुःखी करें, तनाव दें, उससे पहले खुद पर हँसना सीखें। आप खुद अपनी कमियों पर हँसकर उसे अवसर के रूप में देखें। ज्यादातर लोग दूसरों की हँसी को काफी गंभीरता से लेते हैं और दुखी हो जाते हैं, जबकि खुद पर हँसना आपको अधिक संवेदनशील, जुझारू, जीवट वाला, स्वस्थ और अधिक प्रामाणिक होने में सक्षम बनाता है।
हास्य दिवस मुस्कुराने का बहाना ही नहीं, एक प्रेरणा एवं जिजीविषा (इच्छा) है। इस दिन को अमल में लाने का श्रेय हास्य योग आंदोलन के संस्थापक डॉ. मदन कटारिया को जाता है। इन्होंने ही मुम्बई में पहली बार ११ जनवरी १९९८ को हास्य दिवस को मनाया था। इसका खास उद्देश्य समाज में बढ़ते तनाव, अशांति, चिन्ता एवं परेशानियों को कम करके सुखी जीवन जीने की सीख देना था, क्योंकि हँसना सभी के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास में अत्यंत सहायक है। हँसी हमारे जीवन की सफलता की चाबी है, वह अनेक समस्याओं का समाधान भी है। हँसी, दुखी दिल के घावों को भरने वाला मलहम है। हमारे चेहरे का व्यायाम है और मन का आराम।
शोध कहते हैं कि, जैसे-जैसे हम बड़े हो रहे हैं, हमारा हँसना कम हो रहा है। इसी पर लेखक मिशेल प्रिटचार्ड कहती हैं,-‘हम इसलिए कम नहीं हँसते कि, हम बूढ़े हो गए हैं। हम बूढ़े ही इसलिए हुए कि, हमने हँसना बंद कर दिया है।’
आज का इंसान अपनी मुस्कुराहट-हँसी को भूलता जा रहा है। फलस्वरूप तनावजन्य बीमारियाँ जैसे- उच्च रक्तचाप, शर्करा, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन व अवसाद आदि को निमंत्रण दे रहा है। हँसने से ऊर्जा और ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है। शरीर में से दूषित वायु बाहर निकल जाती है। हमेशा खुलकर हँसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है, साथ ही शरीर में रक्त संचार की गति को बढ़ाता है। इसके अलावा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है। इसलिए चिकित्स्क भी हर रोगी के लिए हास्य को उपयोगी बताते हैं। जो लोग हमें हँसाते हैं, वे स्मृतियों में रच-बस जाते हैं। हम किसी को पसंद या नापसंद कई कारणों से कर सकते हैं, पर लम्बे समय तक हमारे प्रेम के हकदार वे लोग बनते हैं, जो हँसाते हैं और हमारे चेहरे की हँसी बन जाते हैं। इसीलिए विक्टर बोर्ग कहते हैं,-‘हँसी २ लोगों के बीच की दूरी को पार करने का सबसे छोटा पुल है।’
हँसना एक ऐसा बेशकीमती उपहार है, जो कुदरत ने केवल मनुष्य को ही बख्शा है। हास्य एक सार्वभौमिक भाषा है। इसमें जाति, धर्म, रंग, लिंग से परे रहकर मानवता को समन्वय करने की क्षमता है। यह इंसान से इंसान को जोड़ने का उपक्रम है। हँसी विभिन्न समुदायों को जोड़कर नए विश्व का निर्माण करने में सक्षम है। यह विचार भले ही काल्पनिक लगता हो, लेकिन लोगों में गहरा विश्वास है कि, हँसी ही दुनिया को एकजुट कर सकती है। इसीलिए मार्टिन लूथर ने कहा है कि,-‘यदि मुझे स्वर्ग में हँसने की आज्ञा न हो तो मैं स्वर्ग नहीं जाऊंगा।’
लेखिका एमिली मिचेल कहती हैं,-‘हँसी के बिना बीता दिन, अंधेरे में रहने जैसा है, आप अपना रास्ता ढूंढने की कोशिश तो करते हैं, पर उसे साफ-साफ नहीं देख पाते।’ हँसना एक ऐसा सकारात्मक भाव एवं ऊर्जा है, जो व्यक्ति के न केवल आंतरिक बल्कि बाहरी स्वरूप को प्रभावी, समृद्धिशाली एवं तेजस्वी बनाता है। यह व्यक्ति के विद्युत-चुम्बकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। जब व्यक्ति समूह में हँसता है तो उससे सम्पूर्ण परिवेश में सकारात्मक ऊर्जा व्याप्त हो जाती है। दुनिया में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छाँव की भाँति आते-जाते हैं। यदि मनुष्य दोनों परिस्थितियों में हँसमुख रहे, तो मन सदैव काबू में रहता है व चिंता से बचा रह सकता है। हँसने से आत्मा खिल उठती है। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं, दूसरों को भी आनंदित करते हैं। हास-परिहास पीड़ा का दुश्मन है, निराशा और चिंता का अचूक इलाज और दुःखों के लिए रामबाण औषधि है। लंदन विश्वविद्यालय की प्रो. सोफी स्कॉट कहती हैं कि, ‘हँसी के द्वारा हमारा अवचेतन मन ये संकेत देता है कि, हम सुकून में हैं और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।’
जापान जैसे देशों में लोग बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते रहने की शिक्षा देते हैं, ताकि उनकी भावी पीढ़ी सक्षम एवं तेजस्वी हो।
दुनिया के अधिकतर देश आतंकवाद, हिंसा, युद्ध एवं महामारियों के डर से सहमे हुए हैं, ऐसे समय में ‘विश्व हास्य दिवस’ की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले दुनिया के लोगों में इतनी घबराहट और अशांति कभी नहीं देखी गई। आज हर व्यक्ति के अंदर घबराहट और अशांति का कोहराम मचा हुआ है। ऐसे दौर में केवल हँसी ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रो. टेरीजा एमाबाइल ने कहा है कि,- हँसते समय हमारा दिमाग सबसे अधिक रचनात्मक होता है। हमें न केवल पारिवारिक परिवेश में, बल्कि ऑफिस में हँसी-मजाक को बढ़ावा देना चाहिए। ऑफिस का माहौल मेल-जोल और हँसी मजाक वाला हो, जिससे टीम के बीच काम के प्रति उत्साह का संचार हो सके।’ हँसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। चिकित्सकीय प्रयोगों में पाया गया है कि, १० मिनट तक हँसते रहने से २ घंटे की गहरी नींद आती है।
हंसने वाले व्यक्तियों के कई सारे मित्र बन जाते हैं और इस प्रकार एकता की भावना कब उत्पन्न होती है, पता ही नहीं चलता।

इस व्यस्त, अशांत एवं तनावग्रस्त जिंदगी में लोग कम से कम १ दिन तो अपने लिए निकालें और जी भरकर हँसे और हँसाएं। तभी तो ओशो ने कहा है कि,-‘जब आप हँसने के पश्चात शांत हो जाएंगे तो यह महसूस करेंगे कि, पूरा विश्व, ये पेड़-पौधे, सितारे, पत्थर, पर्वत, सब आपके साथ हँस रहे हैं।’