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अरिहंतों को नमन

छगन लाल गर्ग “विज्ञ”
आबू रोड (राजस्थान)
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दिव्य लोक की राह में,रश्मि पुंज के मंत्र।
महावीर क्षण साधना,जीवनभर का तंत्र॥

अरिहंतों को नमन है,सिद्धजन नमस्कार।
साधक संतों नमन है,कृपा करो करतार॥

मंत्र साध सदगुण सधे,रहे न दु:ख जंजाल।
शब्द भाव अनुसार ही,अंतस सच खंगाल॥

अरिहंती मंगल मिले,साध रहे है सिद्ध।
माया पंछी लोभ में,डूब रहा तल गिद्ध॥

अरिहंत शरण साध ले,मिले ज्ञान नव बोध।
धर्म आत्मज्ञ छाँव में,जीवन गति अवबोध॥

मंगल भव हो धर्म से,संयम तप पहचान।
कर्म अहिंसा साध ले,मत बन मद अनजान॥

ऊर्जा तप बदले दिशा,भीतर तत्व विशाल।
माया विकार वासना,भाग रहे बद हाल॥

धर्म विज्ञान तन में बसे,विवेक बढ़े प्रमाण।
सूक्ष्म स्थूल के भेद में,ऊर्जा अनुभव प्राण॥

राग-द्वेष के मध्य में,अनशन का उन्माद
गतिमय जीवन श्वांस से,रुके अनंत प्रमाद॥

उणोदरी वृति धीर से,भरो पेट आहार।
जीवन ऊर्जा योग से,धरो देह भंडार॥

माया के रस त्याग दे,समझो काया क्लेश।
अंतर रस संलीनता,निखरे ज्योति अशेष॥

परिचय–छगनलाल गर्ग का साहित्यिक उपनाम `विज्ञ` हैl १३ अप्रैल १९५४ को गाँव-जीरावल(सिरोही,राजस्थान)में जन्मे होकर वर्तमान में राजस्थान स्थित आबू रोड पर रहते हैं, जबकि स्थाई पता-गाँव-जीरावल हैl आपको भाषा ज्ञान-हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती का हैl स्नातकोत्तर तक शिक्षित श्री गर्ग का कार्यक्षेत्र-प्रधानाचार्य(राजस्थान) का रहा हैl सामाजिक गतिविधि में आप दलित बालिका शिक्षा के लिए कार्यरत हैंl इनकी लेखन विधा-छंद,कहानी,कविता,लेख हैl काव्य संग्रह-मदांध मन,रंजन रस,क्षणबोध और तथाता (छंद काव्य संग्रह) सहित लगभग २० प्रकाशित हैं,तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl बात करें प्राप्त सम्मान -पुरस्कार की तो-काव्य रत्न सम्मान,हिंदी रत्न सम्मान,विद्या वाचस्पति(मानद उपाधि) व राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्य संस्थानों से १०० से अधिक सम्मान मिले हैंl ब्लॉग पर भी आप लिखते हैंl विशेष उपलब्धि-साहित्यिक सम्मान ही हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रसार-प्रचार करना,नई पीढ़ी में शास्त्रीय छंदों में अभिरुचि उत्पन्न करना,आलेखों व कथाओं के माध्यम से सामयिक परिस्थितियों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद व कवि जयशंकर प्रसाद हैंl छगनलाल गर्ग `विज्ञ` के लिए प्रेरणा पुंज- प्राध्यापक मथुरेशनंदन कुलश्रेष्ठ(सिरोही,राजस्थान)हैl

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