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अलबेला यंत्र

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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होते जो भी सुखद-दुखद पल,सबका चित्रण करता,
जीवन के बीते लम्हों को अंक में निज के भरता।
जिसका प्रियवर नाम कैमरा,वह इक यंत्र है न्यारा-
तस्वीरों में विगत सजाकर,मायूसी को हरता॥

यादों को भरकर निज गृह में,इतिहासों को रचता,
था कैसा उज्ज्वल अतीत,इन विश्वासों को सृजता।
रिश्ते-नाते,प्रेम-नेह सब,रहें गर्भ में जिसके-
उस अलबेले यंत्र कैमरे से,कुछ भी ना बचता॥

मात-पिता,बहना औ’ भाई,पति-पत्नी औ’ बच्चे,
बचपन,यौवन और बुढ़ापा,बीते पल सब अच्छे।
कहे कैमरा मैं हूँ साथी,साथ सदा दूँगा मैं-
जब भी झाँकोगे पीछे तुम,पाओगे सब सच्चे॥

पहले श्वेत-श्याम वर्णी,फिर पाई रंगीं काया,
फिर डिजीटल स्वरूप समेटे,मोबाइल तक आया।
सचमुच है अब सबका साथी,मान कैमरा पाता-
जानें,समझें हम इस छायाचित्रक,की तो माया॥

साथ निभाता क़दम-क़दम पर,आज कैमरा देखो,
राज कर रहा है प्रियवर जो,हर दिल में अब देखो।
तस्वीरों में सजा हुआ है,संग्रह बन इठलाता-
वंदन-अभिनंदन होता अब,कम ना उसको लेखो॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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