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आगे बढ़ रहा हिन्दुस्तान

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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आजाद भारत की उड़ान…

आजाद भारत की ७७ वीं उड़ान,
आगे बढ़ रहा है मेरा हिन्दुस्तान
विश्व में चमक रही इसकी शान,
पूरे विश्व में होती आज पहचान।

त्याग, तपस्या और है बलिदान,
आजाद भारत की है ये उड़ान
इसकी आन के लिए हमारी जान,
क्योंकि इससे होता हमारा मान।

चन्द्रमा पर पहुंचा है अब चंद्रयान,
आजाद भारत की देखो तो उड़ान
जल, थल और गगन में हुई पहचान,
हर जगह भारत का हो रहा गुणगान।

स्व-निर्भरता से हो रही है पहचान,
विश्व शक्ति झुक रही है बड़ा जान
आओ ‘दीनेश’ देश पर हों कुर्बान,
आजाद भारत भर रहा बड़ी उड़ान।

सारे ब्रम्हांड को ये अब तो मापेगा,
समूचे विश्व का है ये सुन्दर गहना।
सब चाहें इससे ही दोस्ती करना,
ऐसी लम्बी उड़ान अब तो ये भरेगा॥

परिचय– दिनेश चन्द्र प्रसाद का साहित्यिक उपनाम ‘दीनेश’ है। सिवान (बिहार) में ५ नवम्बर १९५९ को जन्मे एवं वर्तमान स्थाई बसेरा कलकत्ता में ही है। आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, बंगला, नेपाली और भोजपुरी भाषा का भी ज्ञान है। पश्चिम बंगाल के जिला २४ परगाना (उत्तर) के श्री प्रसाद की शिक्षा स्नातक व विद्यावाचस्पति है। सेवानिवृत्ति के बाद से आप सामाजिक कार्यों में भाग लेते रहते हैं। इनकी लेखन विधा कविता, कहानी, गीत, लघुकथा एवं आलेख इत्यादि है। ‘अगर इजाजत हो’ (काव्य संकलन) सहित २०० से ज्यादा रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको कई सम्मान-पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री प्रसाद की लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देना, स्वस्थ और सुंदर समाज का निर्माण करना एवं सबके अंदर देश भक्ति की भावना होने के साथ ही धर्म-जाति-ऊंच-नीच के बवंडर से निकलकर इंसानियत में विश्वास की प्रेरणा देना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-पुराने सभी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज-माँ है। आपका जीवन लक्ष्य-कुछ अच्छा करना है, जिसे लोग हमेशा याद रखें। ‘दीनेश’ के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए। देश है तभी हम हैं। देश रहेगा तभी जाति-धर्म के लिए लड़ सकते हैं। जब देश ही नहीं रहेगा तो कौन-सा धर्म ? देश प्रेम ही धर्म होना चाहिए और जाति इंसानियत।