पटना (बिहार)।
हाल ही में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन सभागार में डॉ. जगदीश पाण्डेय की जयंती पर स्मृति शेष कवि घनश्याम के ग़ज़ल संग्रह ‘खुशबू-खुशबू रात गज़ल है’ का लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने की।
आपने कहा कि स्मृति शेष कवि घनश्याम छंद पर अधिकार रखने वाले एक गम्भीर और संवेदनशील शायर थे। उनकी शायरी में जमाने का दर्द भी था और उसकी दवा भी थी। डॉ. पाण्डेय को याद करते हुए कहा कि, साहित्य सम्मेलन के उद्धार में उनका बड़ा ही योगदान था। वे साहित्य समेत सभी सारस्वत सरोकारों से गहरे जुड़े हुए कोमल भावनाओं से युक्त उदार व्यक्ति थे। समारोह का उद्घाटन पटना उच्च न्यायालय से अवकाश प्राप्त न्यायाधीश और चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र ने किया। उन्होंने लोकार्पित पुस्तक के कवि को श्रद्धांजलि देते हुए उनके पुत्रों एकलव्य केसरी और चैतन्य चंदन को बधाई दी।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि प्रेम किरण को ‘कवि घनश्याम स्मृति सम्मान’ से विभूषित किया गया।