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आज के कठिन समय में शब्दों को बचाना होगा- प्रो. द्विवेदी

लोकार्पण-चर्चा…..

इंदौर।

आज के कठिन समय में भाषा को सहेजने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। कला, साहित्य और संस्कृति के लिए शोध अध्ययन को आज के शोधार्थियों द्वारा आत्मसात किया जा रहा है। यह शुभ संकेत हैं। समाज को आज ऐसे शोध की आवश्यकता भी है,जो नई दिशा दे सके। समाज और साहित्य का संबंध बना रहना चाहिए,आज के कठिन समय में शब्दों को बचाना होगा,इसके लिए प्रयोग किए जाने चाहिए।
यह विचार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन(नई दिल्ली) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। प्रो. द्विवेदी शोध आधारित पुस्तकों के आभासी लोकार्पण व पुस्तक चर्चा कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में डॉ. राजेश दीक्षित(कुलपति, रेनेसा विश्वविद्यालय, इंदौर) द्वारा लिखित पुस्तक डॉ. धर्मवीर भारती के साहित्य का समग्र अनुशीलन,डॉ. सोनाली नरगुंदे, (विभागाध्यक्ष-पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला,देवी अहिल्या विवि) और डॉ. मनीष काले (अतिथि व्याख्याता) द्वारा लिखित शोध आधारित पुस्तक ‘भारत में पत्रिकाएं (उद्भव और विकास और मध्यप्रदेश में पत्रिकाएं) उद्भव और विकास’ का लोकार्पण एवं पुस्तक पर चर्चा की गई। डॉ. मेघना रॉय( महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी) द्वारा लिखित ‘रीतिकाल के महत्वपूर्ण लेखक मतिराम के रसराज का आलोचनात्मक अध्ययन’ का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम का आयोजन विश्व रंग के अंतर्गत रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय(भोपाल,वनमाली सृजन पीठ भोपाल) एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा किया गया। अध्यक्षता संतोष चौबे (वरिष्ठ कवि- कथाकार) ने की। डॉ. काले सहित डॉ. दीक्षित व डॉ. रॉय ने भी अपनी-अपनी पुस्तकों की सृजन यात्रा बताई।

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