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बारिश…

कवि योगेन्द्र पांडेय
देवरिया (उत्तरप्रदेश)
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बारिश का आना
कोई इत्तेफ़ाक नहीं है,
बारिश बहुत सोच-समझ कर आती है।
वर्षों से प्रेम का ताप सह रहे
प्रेमी युगल को,
ठंडक पहुंचाने के लिए
बारिश आती है।
धरती का चेहरा जब
मुरझाने लगता है,
नदी का पानी जब
सूखने लगता है,
प्यास से व्याकुल जब
कराहते हैं पेड़,
कुंभलाती हैं कलियाँ
तड़पते हैं जीव,
तब
बारिश का आना ज़रूरी हो जाता है।
बारिश का आना,
कोई इत्तेफ़ाक नहीं है॥

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