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आत्मा में बसी हिंदी

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या….

वंदे मातरम की शान है हिंंदी,
भारत की आत्मा में बसी हिंदी
देश का मान है हिंदी,
हमारा अभिमान है हिंदी।

सब भाषा से सहज हिंदी,
संविधान का गौरव हिंदी
भारत की चेतना हिंदी,
भारत की पहचान हिंदी।

आदर्शों की मिसाल हिंदी,
सूर और मीरा की तान है हिंदी
वक्ताओं की शक्ति हिंदी,
फूलों की खुशबुओं-सी महक है हिंदी।

संपूर्ण देश में छाई हिंदी,
साहित्य पुराणों की आत्मा में बसी हिंदी
देव नागरिक लिपी हिंदी,
फिर क्यों ? न हो राष्ट्रीय भाषा हिंदी।

माँ की बोली से प्रथम,
संवेदना में हिंदी
हिंदी के कल्याण से,
शिष्ट का निर्माण हो।

हिंदी की बिंदी से चमके
माँ भारती का भाल हो।
हम चाहेंगें हिंदी का सम्मान हो,
हिंदी भाषा राष्ट्रीय भाषा महान हो॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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