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इक नया वर्ष

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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नया उजाला-नए सपने..

रचनाशिल्प:२१२२ १२२१ २२१२

इक नया वर्ष जीवन में आने को है।
उम्र से वर्ष फिर एक जाने को है।

गिनतियाँ उम्र में चैन-सुख से बढ़ीं,
एक गिनती ये फिर से बढ़ाने को है।

मैं दुआ कर रहा हूँ सभी के लिए,
पल सुखों के मिलें जो बिताने को है।

सुख सजाती रहे प्यार से ज़िन्दगी,
प्यार की ही जरूरत जमाने को है।

हर नया पल मुकद्दर में खुशियाँ भरे,
बन्दगी इक नया दौर लाने को है।

सोच ऐसी सजे वक्त के साथ में,
खुद खुदाई कहे वो सजाने को है।

बात कहता ‘चहल’ हर किसी के लिए,
कुछ ही दस्तूर तो बस निभाने को है॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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