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`इसरो` की आकांक्षा

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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आकांक्षा है चाँद पर जाने की
मिट्टी,हवा,पानी पता लगाने की,
चार सौ सपूत लगे हैं इसमें
‘चन्द्रयान-२’ मिशन पहुँचाने की।

धन्य है ‘इसरो’ का विज्ञान
करता है विश्व उन्हें सलाम,
गौरवान्वित है भारत का अनुसंधान
‘नासा’ भी करता है दण्डवत प्रणाम।

सफलता ही नहीं ये वादा है
मानव को चाँद पर ले जाना है,
तिरंगा वहीं फहराना है
दुनिया को शक्ति दिखाना है॥

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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