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कलियुग

मोनिका शर्मा
मुंबई(महाराष्ट्र)
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कलियुग,
कौन जाने आखिर कैसा…
यह कलियुग है आया ?
जहाँ छत नहीं अब
मजदूर की खातिर,
न है कृषक को छाया।

‘अन्नदाता’ है वह कहलाता,
जो उपज धान्य विश्व की खातिर
पर अपना पेट ही भरने को,
एक रोटी को वह तरस जाए।

‘मजदूर’ वह कहलाए,
जो दूसरों के घर चुनवाए
पर खुद के सिर पर छत नहीं,
इसलिए करे बसेरा
एक छोटी कुटिया में ही।

जरूरत सबको है इनकी,
परंतु स्थिति देख सिर्फ कहे ‘बिचारे’
फर्क इतना है कि यह यंत्रवत मानव,
हार कर भी जीत गए और
हम मनुष्य जीत कर भी हारे।

क्योंकि,
न जाने हम किस बात का
कर रहे हैं आज गुरूर,
बिन मेहनत के ही
महान तो ये लोग हैं जो,
खून-पसीने का कतरा-कतरा देकर भी
अपना नाम बड़ा नहीं करना चाहे॥

परिचय-मोनिका शर्मा की जन्म तिथि १४ मई २००४ तथा जन्म स्थान राजस्थान हैl इनका निवास नवी मुंबई में हैl यह फिलहाल नवी मुंबई स्थित विद्यालय में अध्ययनरत है। उपलब्धि औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटसाल खेल में प्रथम स्थान और हिंदी भाषण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आना है। हिंदी-अंग्रेजी में कविता,कहानी और निबंध लिखने की शौकीन सुश्री शर्मा की मुख्य रुचि लेखन ही है|

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