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उठा युद्ध का दानव

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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छलक रहा विश्व पटल पर, घुला हृदय विष उछल-उछल।
हांडी काठ चढ़ी खिचड़ी, जल रही इधर उबल-उबल॥

मेघ घृणा का घनीभूत क्यों…
करुणा किया अनल आहूत ज्यों…।
विश्व वातायन रक्त रंजित…
प्रेम दया टुकड़े से वंचित…।
देख दशा मन रोता है, ठाठे मारता हिया मचल,
नितांत निरीह मूक अरी, दुनिया कितनी गयी बदल॥
छलक रहा विश्व पटल…

फिर जी उठा युद्ध का दानव…
त्राहिमाम करता है मानव…।
ढोंग न्याय का स्वाँग रचा कर…
बारूद-बम खा रहे पचा कर…।
धरा धमाकों से भीषण, काँप-काँप कर रही दहल,
धुँआ-धुँआ मानवता है, जा री शांति तू हुई विफल॥
छलक रहा विश्व पटल…

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।