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उन्नायक संत कबीर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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समाजवाद का प्रखर क्रान्तिकारी गायक,
चिन्तक, सुधारक, ईश्वर पथ उन्नायक थे
निर्गुणोपासनावाद के उद्घोषक प्रथम,
युगान्तकारी कबीर दास जी संत थे।

मध्यकालीन मुगली आततायी सल्तनत,
सामाजिक धार्मिक रूढ़िवाद विरोधक थे
अंधविश्वासों, कुरीतियों के परम विरुद्ध,
फक्कड़ व्यक्तित्व संत कबीर सम्मोहक थे।

सार्वकालिक सार्वभौमिक सत्ता जगदीश्वर,
सार्वभौम सार्वजनिन सर्वात्मबोध थे
जाति, धर्म, सम्प्रदाय, ऊँच-नीच, रंग बिन,
कुत्सित भेदभावों विरत संत कबीर थे‌।

प्रेममय मानवीय पौरुष परहित जीवन,
दीन-हीन मदद ईश्वर सेवा मानक थे
मंदिरों-मस्जि़द की पूजा रीति विरोधक,
अज़ान उद्घोष विरोधी संत कबीर थे।

पंडित-मुल्लाओं के अंधविश्वास चाल,
नैतिक मानवीय मूल्य हत्या कहते थे
निश्छल प्रेम मनुज अपर मानव प्रति अर्पण,
अवसीदन नित सहयोगी संत कबीर थे।

निरत उदास मुख खुशी मुस्कान प्रदायक,
ईश्वरीय उपासक आवाहक कबीर थे
कण-कण विश्व व्यापित सत्ता हरि राम नाम,
घटि-घटि राममयी मानक संत कबीर थे।

यथार्थवादी चिन्तक साधक कबीर,
ईश प्रदत्त चारु प्रकृति का संरक्षक कवि थे
करुणा, क्षमा, दया, परहित प्रेम संवेदन,
परमार्थ सुरभि पथ सुरभित संत कबीर थे।

हरि कीर्तन रत फक्कड़ घुमक्कड़ नित जीवन,
जीने वाले घुमक्कड़ी भाषा कबीर थे।
क्रान्तिदूत विचारक प्रगतिपरक विचार पथ,
सामाजिक उन्नायक गुरु संत कबीर थे॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥