सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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‘सावन के झूले’ झूला राधेय कृष्णन्,
रिमझिम बरसे सावन प्रीत बूंदा-बूंदी।
सूखी नदी-नाले पानी भर उपलाए,
काली घनघोर घटाएं उमड़-घुमड़ाए
गर्जन कर बिजली चमक चमकाए,
मेंढक टर-टर टर्राए, झींगुर झनक झंझाए
देश किसान घर बैठे मन-मन छितराए,
‘सावन के झूले’ झूला…।
सूखी उपवन की हर डाली पत्ती,
लहर लहराए हरियाली चादर पहने
प्राकृतिक पर्यावरण में वसुंधरा खिले,
उन्मुक्त नील गगन पपीहा मल्हार
प्रेमगीत गा प्रकृति सौन्दर्य बिखराए,
‘सावन के झूले’ झूला…।
कृष्ण राधेय संग झूले झूला प्रेम,
प्रीत को नर-नारी खगजन में प्रेम
रस बरस बरसाए झूमे-नाचे-गाए,
नन्दगोपाला गौ-वन संग बाल सखा
चारों पहर ‘सावन के झूले’ झूला झूलाए
‘सावन के झूले’ झूला…।
गिरधर गोपाल मंदिर के गाजे-बाजे,
सुमधुर घंटा में मनमोदित हो हरके
चितवन को प्रेमरंग से भीग भिगाए,
जीवन के आनंदमय क्षणों में प्रेमबंधन में।
बंध-बंध ‘सावन के झूले’ प्रेम बरसाए।
‘सावन के झूले’ झूला…॥
परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।