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ऊर्जा और शक्ति का उपयोग सही दिशा में कीजिए

सत्यम सिंह बघेल
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

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संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं,जिसकी प्राप्ति मनुष्य के लिए असम्भव हो। प्रयत्न और पुरुषार्थ से सभी कुछ पाया जा सकता है,किन्तु हम अपनी अधिकांश शक्ति तथा ऊर्जा को व्यर्थ की बातों और कामों में गवां देते हैं, जबकि हम अपनी ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग करके असम्भव लगने वाले कार्य को भी सम्भव बना सकते हैं। दुनिया की हर चीज प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए,अपनी ऊर्जा और शक्ति का सही दिशा में प्रयोग करें, सही जगह उपयोग करें,सार्थक कार्यों में ही इसे लगाएं।
मनोरंजन करने,गपशप करने,यहां-वहां बेमतलब घूमने-फिरने,बिना वजह के कार्यों और हास्य-विलास में अपनी ऊर्जा व्यर्थ नष्ट न करें। अपनी ऊर्जा व्यर्थ गलत दिशा में बर्बाद करने वाला स्वयं बर्बाद हो जाता है। इसलिए,हमें अपनी शक्ति और ऊर्जा का प्रयोग सही दिशा में ही करना चाहिए। जीवन का एक-एक पल बहुत कीमती है,बहुमूल्य है। पल-पल की महत्ता को समझें,कद्र करें और उसका प्रबन्धन करना सीखें। हर पल,हर पहलू और हर क्षण की ऊर्जा केवल हमारे सार्थक कार्यों और प्रयासों में उपयोग होनी चाहिए।
ताला खोलने के लिए चाबी को सही दिशा में घुमाना पड़ता है,तभी ताले का बंधन खुलता है। इसी तरह हम अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएंगे, तभी सफलता सम्भव है। हम अपनी ऊर्जा को सार्थक दिशा में लगाएंगे, तो वही हमारे जीवन का आधार बनेगाl ये हमारे जीवन को मजबूत बनाएगी और हम दूसरों के लिए आदर्श बन पाएंगे। स्वयं को सार्थक दिशा की ओर प्रेरित कर अपनी ऊर्जा का उपयोग करते हैं तो निश्चित ही हमारे जीवन का सही दिशा में परिवर्तन होगा।
अपने अंदर की ऊर्जा को अच्छे कामों में लगाएं,ताकि एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जी सकें और निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। हर तरह का अनुभव लें,अध्यात्म से जुड़ें और अपनी सोच को विस्तार दें। जो कार्य आवश्यक हैं,उन पर ही अधिक ध्यान दें। समय के साथ स्वयं में निरंतर परिवर्तन एवं सुधार लाते रहें। हम जितना ऊर्जा का उपयोग अपनी क्षमता बढ़ाने,रचनात्मकता को निखारने में करेंगे,परिणाम प्राप्ति की उतनी अधिक सार्थकता बढ़ेगी। इसलिए,ऊर्जा का उपयोग व प्रयोग अपनी क्षमता और रचनात्मकता को बढ़ाने में करें। इससे हमारा व्यक्तित्व निरंतर निखरेगा और हम सतत नई ऊंचाइयों को छूते जाएंगे।

परिचय-सत्यम सिंह बघेल का जन्म ५ अप्रैल १९९० को सिवनी (म.प्र.)में हुआ है। निवास लखनऊ (उ.प्र.)में है। स्नातक (कम्प्यूटर विज्ञान) तक शिक्षित श्री बघेल की लेखन विधा-आलेख(विशेष रूप से संपादकीय लेख), कविता तथा लघुकथा है। कईं अखबारों, वेब पोर्टल और स्मारिका में भी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। १५ से अधिक पुस्तकों (कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि साझा संकलनों) का सम्पादन भी कर चुके हैं। बतौर सम्प्रति फिलहाल आप एक प्रकाशन में संस्थापक, प्रकाशक,प्रबन्धक होने के साथ ही प्रेरणादायक वक्ता भी हैं। 

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