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ऐसी मनाएँ दिवाली…

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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राम-राज…

दिवाली आई,
बड़ी धूम-धाम से रोशनी लाई…
घर-घर, हर घर रोशनी होगी,
घर-घर, हर घर दीए जलाएँ…
रोशनी तो होगी इस शहर में,
रोशनी तो होगी गली-कूचे में…
रोशनी इतनी तेज भी न कर ना,
कि उसकी चकाचौंध में,
कहीं ये तुम भूल ना जाना…
गर यहाँ घर-घर है रोशनी,
तो अंघेरा भी हो सकता है और कहीं…।

इस शहर के किसी कोने में,
कोई अकेला दीया टिमटिमाता होगा…
शायद दिवाली को ‘मान’ रहा होगा,
क्यों ना कोशिश हमारी ये हो…
कि बांटें हम थोड़ी-सी ख़ुशियाँ,
शहर के उस कोने में भी…
जहाँ होगी कोई-ना-कोई कहानी।

एक कोशिश हमारी भी हो,
कि आज कोई मायूस ना
हो…
आओ ऐसा कुछ काम करें,
मिलकर सब रोशनी-ए-आम करें…
हर ओर फैले खुशियों की किरणें,
हर चेहरे पर मुस्कान झलके …
आओ ऐसी मनाएँ दिवाली।
ना कहीं रहे अंधेरा,
हर तरफ हो उजियारा…॥