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ओ खुशी

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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ओ खुशी,
तू कहां चली
तुझ पर है,
अधिकार सभी का,
फिर क्यों तू,
हमसे रुठ चली।
ओ खुशी…

मन्जिल मिले,
ना मिले सही पर
तू मिलकर,
क्यों न संग चली।
ओ खुशी…

तुझे पाने को,
लालायित सभी
तुझे खोने को,
कोई राजी नहीं
पर तू है बड़ी मनचली।
ओ खुशी…

तू क्यों तन्हा,
इतराने लगी
क्यों पल-पल,
सबको रुलाने लगी
ये कैसी तूने चाल चली।
ओ खुशी…

तुझे पाने को,
कोई पाप करे
कोई पुण्य करे,
कोई जाप करे
पर तू ना किसी से प्यार करे,
ये कैसी उलझन-सी,
बयार चली।
ओ खुशी…

तू क्यों लोगों पर,
ज़ुल्म करे
गर दुःख भी मिले,
तो सुख भी मिले
तू थोड़ी-थोड़ी,
सबको मिले
फिर हम भी खुश।
दुनिया भी भली,
ओ खुशी…तू कहां चली…॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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