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कद छोटा, अरमान बड़े थे

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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लालबहादुर शास्त्री जयंती विशेष…

मातृभूमि के सच्चे नायक,
सदा राष्ट्र के लिए लड़े थे।
लाल बहादुर सबके प्यारे,
कद छोटा अरमान बड़े थे॥

राष्ट्र भक्ति के आगे सारे,
सुख आराम सदा ही त्यागे।
संकट कोई भी आया हो,
कभी न पीठ दिखाकरभागे॥
डिगे नहीं वे आदर्शों से,
सिद्धांतों पर अडिग खड़े थे।
लाल बहादुर सबके प्यारे,
कद छोटा अरमान बड़े थे…॥

मान रखा था भारत माँ का,
मस्तक झुकने नहीं दिया था।
जीवन अर्पण किया देश को,
सदा स्वार्थ का त्याग किया था॥
उनका भी मस्तक झुका दिया,
जो जो भी उनसे तगड़े थे।
लाल बहादुर सबके प्यारे,
कद छोटे अरमान बड़े थे…॥

भारत का नेतृत्व संभाल,
जग में ऊँचा नाम किया था।
लिया नहीं था कभी किसी से,
पूरे जीवन मात्र दिया था॥
उन्हें नींद से सदा जगाया,
जो भी सोए हुए पड़े थे।
लाल बहादुर सबके प्यारे,
कद छोटे अरमान बड़े थे…॥

भूल न पाएंगे हम उनको,
युगों-युगों तक अमर रहेंगे।
देशभक्ति के चर्चे होंगे,
सब उनका ही नाम कहेंगे॥
भारत माँ का आभूषण ज्यों,
जिसमें रत्न अमोल जड़े थे।
लाल बहादुर सबके प्यारे,
कद छोटे अरमान बड़े थे…॥

धन्य हुई है भारत वसुधा,
जिसने ऐसा लाल जना था।
छोड़ा ना ईमान कभी भी,
उनमें स्वाभिमान घना था॥
सादा जीवन चिंतन ऊँचा,
सच्चाई पर सदा अड़े थे।
लाल बहादुर सबके प्यारे
कद छोटे अरमान बड़े थे…॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’