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कभी आए क्यों नहीं…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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जहर ही सही पिलाया क्यों नहीं,
दस्तूरे जहाँ निभाया क्यों नहीं
सौगात तो कोई नहीं मांगी,
थोड़ा-सा प्यार लाए क्यों नहीं।

मेरा ठिकाना माना तुम हो,
अपना पता बताया क्यों नहीं,
बेकरारी की जाने दो ना पूछो,
खामोशी से ही बुलाया क्यों नहीं।

बहुत सुना था तुम सघन छाँव हो,
बताओ इधर छाए क्यों नहीं
बादल बन गुजरते रहे आसमाँ,
छाँव बन कभी आए क्यों नहीं।

जज्बात जताना कठिन तो नहीं,
बताओ एहसास छुपाए क्यों नहीं।
बहाने बहुत हैं तुम्हारे पास माना,
‘ख्याल’ को कभी भुलाया क्यों नहीं॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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