श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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नया उजाला-नए सपने….
आओ मिलके करें प्रतिज्ञा, पहली जनवरी का बहिष्कार करें,
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीयों का नव वर्ष है, इन्तजार करें।
जाने क्यों आ जाती है जनवरी की यह पहली तारीख,
पहली जनवरी में खुशी मना के, फिरंगी की क्यों हो तारीफ।
खाए-पीए मौज मनाएं, भूले हैं अपने वीर शहीदों को,
दुष्ट फिरंगी मार गिराया, सरहद पे अनगिनत शहीदों को।
लाए मुझको ब्याह कर, और चले गए हैं सरहद पर।
बीते अनेक वर्ष, कहो सजन कब आओगे घर पर।
हर पल बाट जोह रही हूँ, ईश्वर से विनती करती हूँ,
तुम्हारी तस्वीर सेज पर सजाकर देखती रहती हूँ।
आँखें मेरी पथरा गई, वृद्धावस्था भी अब आ गई है,
हर ओर अंधेरा छाया, रोशनी नैनों से दूर हो गई है।
तुम शहीद हो गए सरहद पर, यह सखियाँ कहती हैं,
छोड़ो मिलन की आस, यह भींगी अँखियाँ कहती हैं।
कहो कैसे छोड़ दूँगी पिया, तुमसे मिलने की मैं बात,
भले इंतजार करना पड़े तेरे लिए, सौ जन्मों की रात॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |