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कर्मवीर जीवन्त

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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लोकतंत्र गायक नमन, पुण्य दिवस पर आज।
भीमराव भारत नमन, संविधान आगाज़॥

बदला मानक दलित का, साररस्वत व्यक्तित्व।
बाबा साहब बुद्धि बल, भीमराव अस्तित्व॥

मिली वतन स्वाधीनता, बना नहीं गणतन्त्र।
संविधान निर्माण कर, दिया नीति का मंत्र॥

भीमराव पुरुषार्थ का, कर्मवीर जीवन्त।
यायावर संघर्ष पथ, महावीर वह सन्त॥

हर चाहत जीवन कठिन, पूर्ण हुई अभिलास।
जहाँ चाह बन राह नित, सर्वोत्तम पद खास॥

धन वैभव सुख कीर्ति सब, भीमराव को प्राप्त।
किया दान परमार्थ में, दीन दलित बन आप्त॥

शिक्षाविद उत्तम जगत, सर्वाधिक तालीम।
त्याग न्याय प्रतिमूर्ति बन, नैयायिक यश भीम॥

जाति-पाति दुर्भाव से, अवसीदित उपहास।
जाग्रत नित निज ध्येय पथ, रखा मनसि विश्वास॥

शोषित समाज लखि वेदना, प्रेरक दलित समाज।
समता का अधिकार दे, आज़ादी आगाज़॥

न्याय विभव अभिव्यक्ति का, दिया मूल अधिकार।
भीमराव अम्बेडकर, दिया दलित उपहार॥

मानव मानव एक है, शोणित गात्र समान।
शिक्षा पद सत्ता सुलभ, जगा भाव सम्मान॥

सकल पूर्ण उत्थान हो, शोषित दलित समाज।
आरक्षण दस वर्ष तलक, प्रगति हेतु दी साज॥

ऊँच-नीच दुर्भावना, मिटे सकल अभिशाप।
शिक्षा मानक पात्रता, हो रोजगारी माप॥

समरस सद्भावन वतन, संघशक्ति हो एक।
सबहित सबसुख भाव जब, प्रगति शान्ति अभिषेक॥

भक्ति प्रेम प्रति भारती, लोकतंत्र प्रतिमान।
संविधान निर्माण कर, दिया देश अवदान॥

कर ‘निकुंज’ सादर नमन, भारत रत्न महान।
निर्माता गणतंत्र जो, भीमराव सम्मान॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

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