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कर्म

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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कर्म कर बंदे तू कर्म कर,
दिन-रात सुबह-शाम कर्म कर
लाख आएं मुसीबतें पथ पर,
खड़े रहो तुम कर्म रथ पर।
कर्म कर बंदे तू कर्म कर…

कर्म कर बंदे तू कर्म कर,
असफलताओं से सीख कर
बाधाओं से सदैव लड़ कर,
बस आगे ही आगे बढ़
सुन्दर सुदृढ़ अपना देश गढ़।
कर्म कर बंदे तू कर्म कर…

कर्म कर बंदे तू कर्म कर,
जीवन में तू एक लक्ष्य पर
भूत के कर्मों के साक्ष्य पर,
भविष्य के उजाले को देख कर
वर्तमान में तू सही कर्म कर।
कर्म कर बंदे तू कर्म कर…

कर्म कर बंदे तू कर्म कर,
सोच न तू अपना-पराया
बस सत्य ही सत्य पथ पर,
गुरूजनों के निर्देश पर
माता-पिता के आदेश पर।
कर्म कर बंदे तू कर्म कर…

कर्म कर बंदे तू सही कर्म कर,
सर्वोपरि है कर्म पूरे जग पर
सफलता टिकी है इसकी रग पर,
भाग्य स्वार्थ यश की चिंता छोड़कर
सटीक कर्मों से ही नाता जोड़कर,
अवश्य पहुँचोगे तुम मंजिल पर।
कर्म कर बंदे तू कर्म कर…
कर्म कर बंदे तू कर्म कर॥

परिचयसाहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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