लौटकर आ गया ‘कोरोना’

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** बीत गया है बीस का कहर,भरने लगी गली-गली शहर।भूल गए सावधानी की डगर,गया नहीं है कोरोना का कहर। आते-जाते लोगों के संग,देखा गया कोरोना का…

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हृदय होगा ना कभी दूर

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ***************************************************** विदाई विशेष...... होंगे दूर कल से सभी को है विदाई,आज प्रत्यक्ष यह दुखद घड़ी है आईबधाई हो तुम्हें तुम्हारी यह विदाई,रहे याद सदा दिलों की…

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बदल गया इंसान

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ***************************************************** चाँद न बदला,सूरज न बदला….न बदला है भगवान,बस बदल गया इंसान। दिन न बदला,रात न बदली….न बदला है ज्ञान,बस बदल गया ध्यान। गुरु न बदला,शिष्य…

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शीश मेरा उनके नाम

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ***************************************************** यही पर हमें जीना है,यही पर हमें मरना हैबीच जीवन में हमको,कार्य अनुपम करना है। जिनसे मिला जी यह तन है,जोड़े रखे जो मन से…

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कर्म है सबसे प्रधान

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) *********************************************************************** एक दिन मैंने देखा सपना,सपने में था धर्म और कर्म…दोनों सुलझा रहे थे एक मर्म,मर्म में दोनों का एक ही कहना। कहता धर्म मैं ही…

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मानव का कल्याण

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** पैसा-पैसा करता फिरा, अंत नहीं आया काम। दान-पुण्य जिसमें भरा, पहुँचा वही प्रभु के धाम। धर्म और कानून एक समान, तनिक ना अंतर…

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किसे कहूँ सुंदरता

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** क्या पता किसे कहूँ सुन्दरता! गाँव खेत या शहर के तन को, फल -फूल या कारखानों के मन को। क्या पता किसे कहूँ…

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कर्म

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** कर्म कर बंदे तू कर्म कर, दिन-रात सुबह-शाम कर्म कर लाख आएं मुसीबतें पथ पर, खड़े रहो तुम कर्म रथ पर। कर्म कर…

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गर्मी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** सर्दी जाती गर्मी आती, शुरू शुरू में यह सबको भाती। स्वेटर रजाई को दूर भगाती, जब वह अपने रंग में आती... सबको वह…

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हमारी पृथ्वी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… पृथ्वी है हमारी सब ग्रहों से न्यारी, इसमें ही ईश्वर जड़े हैं जीवों की क्यारी सब ग्रहों में…

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