रत्ना बापुली
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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गणेश चतुर्थी विशेष…
माँ-बाप की परिक्रमा करके,
गणेश जी बने विनायक
तुम भी कर लो उनकी सेवा,
बन जाओगे किसी लायक।
माँ-बाप के चरणों के तले,
स्वर्ग जानो बसता है
गणेश जी का पूजन सफल,
तभी तुम्हारा होता है।
‘महाभारत’ को लिखने वाले,
रिद्धि-सिद्धि के दाता हैं
हर पूजा का प्रथम स्थान,
इन्हीं का तो आता है।
भोले के सुपुत्र हैं यह,
भोले जैसा भोला है
चूहे का वाहन लेकर,
खेल रहा मस्त-मौला है।
लाल अंग है रंगीन वसन,
सोने पे सुहागा है
कदली वृक्ष से इनका
बड़ा गहरा नाता है।
इनका सुन्दर रूप मनोहर,
जो निशदिन पुजाता है।
जन इस भव सागर से,
तुरन्त तर वह जाता है॥