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कान्हा फिर आ जाओ

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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कान्हा फिर आ जाओ,
हमें स्वर्ग की सैर कराओ
तेरी यादों में खो जाते,
तुम आकर मुझे राह दिखाओ।

तुम्हारे फौलादी सीने से,
उमड़ता खूब प्यार है
ग्वाल-बाल संग है दिखता,
सुंदर एक उपहार है।

वृन्दावन उन्नत धाम हो,
या मथुरा की शाम हो
कान्हा तेरी नादानियां,
लगता उत्तम धाम हो।

प्यार और अपूर्व स्नेह से,
रंग जमा करने पर जोर
तेरे बगैर नहीं है कुछ भी,
सतरंगी दिखता है बेजोड़।

आज सुहावनी रातें दिल से,
बहुत याद तुम आते हो सबको
वृन्दावन की समस्त गोपियां,
बहुत प्यार दिखलाती तुमको।

तेरी शैतानियां आती है खूब याद,
सबको, करते थे जब खूब परेशान
आज सुहावनी बारिश में भीग कर,
तुम्हें मानते हैं अपने पर अहसान।

नन्हें नटखट सुन्दर सलोने,
सबको खूब देते हो प्यार
समर्पण संग पास तुम्हारे,
दिखता तुममें अद्भुत संसार।

ग्वाल-बाल संग खूब मचलते,
छोरियां रहती देती खूब प्यार
तेरी सलोनी रंगत देखकर,
छोरियां रहतीं उन्मुक्त हजार।

कान्हा तेरे बगैर है सब सूना,
सारा जगत और घर-संसार
तेरी याद में सब हैं डूबी,
सबको है तुमसे खूब प्यार।

नदी किनारे तेरी शरारतें,
आज भी हैं वृन्दावन का सार
सबमें तुम ही सुन्दर दिखते,
सबसे बड़ा है तुम्हारा प्यार।

समस्त गोपियां आज भी करतीं,
तेरे आने का यहां इंतजार।
रास रचाने और उमंग से भर कर,
सबसे सुंदर है तेरा उपहार॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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