कुल पृष्ठ दर्शन : 327

You are currently viewing कारगिल विजय नामा

कारगिल विजय नामा

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
*************************************************************************
कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….


यूँ तो भारत विभाजन के समय से ही भारत और पाकिस्तान में दुश्मनी चल रही है, पाकिस्तान बस भारत में घुसने का मौका ढूंढता रहता है। पाकिस्तान आतंकवाद और धोखे का पर्याय बन गया है। १९४७ की मारकाट के बाद १९६५ सहित १९७१ का युद्ध उसकी बदनीयती का परिचय देते हैं।
१९९९ में पाकिस्तान ने कारगिल के जरिये भारत के स्वर्ग कश्मीर,लेह-लद्दाख में घुसने की कोशिश की,किन्तु भारत की सेना की कर्मठता,देशभक्ति,साहस और शौर्य उन्हें दस कदम पीछे धकेल देता है।
आज कारगिल दिवस २६ जुलाई के अवसर पर उन वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करती कविता-

आओ बंधु तुम्हें सुनाऊँ गाथा कारगिल मैदान की,
लेह,लद्दाख और कश्मीर घाटी की शान की।
चल रही थी शीत लहर रक्त जमाने वाली थी,
तय हुआ था घाटी में लिखेंगे गाथा बलिदान की॥

देख के मौका दुश्मन ने भारत में घुसपैठ कर डाली थी,
बैठा छिप कर देख रहा था राह आगे जाने की…
किन्तु सजग थी सेना मेरे भारत महान की॥

५५९ ले सैनिक सेना ने बना योजना डाली थी,
हेलीकॉप्टर को बना विमान,दुश्मन की चौकी जला डाली थी।
विक्रम ने दिखा के विक्रम,योगेंद्र ने तोपें दागीं थीं,
मिटा के खुद को दुश्मन की नींव हिला डाली थी॥

घायल होकर भी दुश्मन को पीछे धकेला था,
टाइगर हिल को कर स्वतन्त्र अपना नाम दे डाला था।
मनोज,विजेंद्र,संजय ने भी नाम का मान बढ़ाया था,
विध्वंस कर मनोबल दुश्मन का,झंडा विजय का लहराया था॥

देश की शान,देश के गौरव कारगिल को बचाया था,
तोप से निकलते गोले,गायें गाथा सम्मान की।
टाइगर हिल भी दहाड़ रहा,दें आवाजें जय जयकार की,
आज जरूरत है देश को विक्रम जैसे लाल की॥

हम सब मिलकर गायें गाथा गौरव और सम्मान की,
उन वीरों ने मर कर भी लहराई पताका हिन्दुस्तान की।
शत-शत आरती हम हैं करते उन वीरों के अरमान की,
वंदे मातरम,वंदे मातरम,वंदे मातरम,जय हो हिन्दुस्तान की॥

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

Leave a Reply