कुल पृष्ठ दर्शन : 90

You are currently viewing काश! ऐसा हो…

काश! ऐसा हो…

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

***********************************

यदि कलुष, कालिमा मिट जाए,
रवि-सा उजियारा छा जाए
भारत फिर आर्यावर्त बने,
पथ सारे जग को दिखलाए।

यों तो यह अपना देश कभी,
धार्मिक तत्वों का वेत्ता था
षड्यंत्रों को, दुष्कृत्यों को,
सतकृत्यों से धो देता था।
पर इसमें पाप प्रविष्ट हुआ,
वह ध्यान, धरम, धीरज न रहा
दिन-रात वही, धन-धाम वही,
पर सत्य, शील, संयम न रहा।
इसलिए जलाओ ज्ञान दीप,
अज्ञान तिमिर छटता जाए॥
भारत फिर आर्यावर्त बने,
पथ सारे जग को दिखलाए…

कान्हा की मुरली फिर गूंजे,
कालीदह में हो दुष्ट दलन
शिव, हरिश्चंद्र, गौतम, गांधी,
की गाथाओं का हो प्रचलन।
ज्ञान, भक्ति, सद्कर्म योग का,
मंथन, मंचन, आराधन
हर घर में तुलसी का विरवा,
हर घर में गौओं का पालन।
जन-जन में चित की उलझन को,
सुलझाने की क्षमता आए॥
भारत फिर आर्यावर्त बने,
पथ सारे जग को दिखलाए…

सच्चा व्यवहार मानवी हो,
कायम हो सदा बहार यहाँ
निशि-दिवस हवा में बनी रहे,
वीणा की स्वर झनकार यहाँ।
हर जाति-वर्ण में प्रेम रहे,
आदर सम्मान बराबर हो
रुढ़िवादी, आडंबर तज कर,
मर्यादा से युत हर घर हो।
पतझड़ के पीले वृक्षों पर,
फिर से मधुमास निकल आए॥
भारत फिर आर्यावर्त बने,
पथ सारे जग को दिखलाए…

सत पथ में चलते रहें पाँव,
आपस में मत, मतभेद रहे
सब मिल-जुल जग में कार्य करें,
पर नहीं कहीं पर खेद रहे।
पुरुषार्थमयी, परमार्थमयी,
यह भूमि बने उत्सर्गमयी
उत्साहमयी, निःस्वार्थमयी,
यह धरा बने उत्कर्षमयी।
स्वार्थ, लोभ को छोड़ जवानी,
राष्ट्र प्रेम में रम जाए॥
भारत फिर आर्यावर्त बने,
पथ सारे जग को दिखलाए…

धन, धाम युक्त हो, जन-समाज,
उद्योग पूर्ण जीवन भी हो
फागुन हो रंग, प्रमोद युक्त,
हरियाली युत सावन भी हो।
धर्म-शील हों सभी वर्ग,
चतुराश्रम का पालन भी हो
सत, न्याय, अहिंसा, सदाचार,
संगठन, चरित्र गठन भी हो।
इस पावन माटी का कण-कण,
जन, गण, मन में रच-बस जाए॥
भारत फिर आर्यावर्त बने,
पथ सारे जग को दिखलाए…॥

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।